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पुण्यतिथि : बंगला सिनेमा को विशिष्ट पहचान दिलाई कानन देवी ने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 16 2019 12:32PM | Updated Date: Jul 16 2019 12:32PM
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मुंबई। भारतीय सिनेमा जगत में कानन देवी का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने न सिर्फ फिल्म निर्माण की विद्या से बल्कि अभिनय और पार्श्वगायन से भी दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनायी। काननदेवी मूल नाम काननबाला का जन्म पश्चिम बंगाल के हावड़ा में 1916 को एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। बचपन के दिनों में ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इसके बाद परिवार की आर्थिक जिम्मवारी को देखते हुये कानन देवी अपनी मां के साथ काम में हाथ बंटाने लगी।

कानन देवी जब महज 10 वर्ष की थी तब अपने एक पारिवारिक मित्र की मदद से उन्हें ज्योति स्टूडियो द्वारा निर्मित फिल्म जयदेव में काम करने का अवसर मिला। इसके बाद कानन देवी को ज्योतिस बनर्जी के निर्देशन में राधा फिल्मस के बैनर तले बनी कई फिल्म में बतौर बाल कलाकार काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1934 में प्रदर्शित फिल्म .मां. बतौर अभिनेत्री कानन देवी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुयी। कुछ समय के बाद कानन देवी न्यू थियेटर में शामिल हो गयी।

इस बीच उनकी मुलाकात राय चंद बोराल से हुयी जिन्होंने कानन देवी को हिंदी फिल्मों में आने का प्रस्ताव दिया। तीस और चालीस के दशक में फिल्म अभिनेता या अभिनेत्रियों को फिल्मों में अभिनय के साथ ही पार्श्वगायक की भूमिका भी निभानी होती थी जिसको देखते हुये कानन देवी ने भी संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उस्ताद अल्ला रक्खा और भीष्मदेव चटर्जी से हासिल की। इसके बाद उन्होंने अनादी दस्तीदार से रवीन्द्र संगीत भी सीखा।

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