मुंबई। 90 के दशक के बीच की बात है। उस समय संजय लीला भंसाली अपने निर्देशन की पहली फिल्म ‘खामोशी : द म्यूजिकल’ पर काम कर रहे थे। उस समय उनकी बहन बेला सहगल, जिन्होंने उस फिल्म की एडिटिंग की थी, प्रेग्नेंट थीं। तब उन्हें एक बेटी हुई थी। इसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि बेला की बेटी और संजय लीला भंसाली की भांजी शर्मिन सहगल, जिन्होंने फिल्म ‘मलाल’ से अपना फिल्मी डेब्यू किया है, अपने जन्म के समय से ही फिल्मी दुनिया से जुड़ी हुई हैं।
हंसते हुए बचपन की बातें याद करती हुई शर्मिन कहती हैं, ‘बहुत छोटी उम्र से ही मैं फिल्मों (संजय लीला जिन पर काम कर रहे होते थे) के सेट पर जाया करती थी। उनमें 1999 की हम दिल दे चुके सनम, 2002 की देवदास, 2005 की ब्लैक और 2007 की सांवरिया जैसी फिल्में शामिल हैं। मुझे याद है कि ‘देवदास’ के सेट पर ऐश्वर्या राय की गोद में बैठने के लिए मैंने कितनी मिन्नतें की थीं और रोई थी, क्योंकि मैं उनसे बहुत ज्यादा वैसे आपको बता दें कि शर्मिन जब स्कूल में थीं तो वह डॉक्टर बनना चाहती थीं। लेकिन फिल्मी माहौल में पली-बढ़ी शर्मिन खुद को इस इंडस्ट्री में आने से रोक नहीं पाईं।
वह बताती हैं, ‘जब छोटी थी, तो जानती नहीं थी कि मेरे अंकल कितनी बड़ी शख्सीयत हैं और ‘देवदास’ जैसी फिल्म के जरिए वे भारतीय सिनेमा में क्या बदलाव लाए हैं। सच कहूं तो वह फिल्म भी मेरी समझ में नहीं आयी थी और यह भी नहीं समझ पायी थी कि फिल्म निर्माण को लेकर मेरे नजरिए पर उसका क्या असर पड़ेगा। फिर 2015 में ‘बाजीराव मस्तानी’ में मैंने उनकी मदद की थी। 16-17 की उम्र तक मैं फिल्म बनाने में लगने वाली मेहनत और जुनून को समझ चुकी थी और इस कला के प्रति उनके सम्मान को भी।’
अब वह उनके साथ फिल्म करने को तैयार हैं। उनकी ‘मलाल’ फिल्म हाल ही में आ चुकी है। मजेदार बात यह है कि एक्टर बनने के अपने निर्णय को लेकर शर्मिन ने संजय लीला भंसाली को नहीं बताया था। इसकी बजाय मैरी कॉम (2014) और बाजीराव मस्तानी में बतौर असिस्टेंट काम करने के दौरान वह अपने वजन कम करने और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से खुद को मजबूत बनाने पर काम करती रहीं।