कलाकार: कंगना रनौत, अतुल कुलकर्णी, जिस्सु सेनगुप्ता, सुरेश ओबेरॉय, अंकिता लोखंडे, डैनी डेंजोग्पा
निर्देशक: राधा कृष्ण, जगरलामुदी, कंगना रनौत
कहानी
फिल्म की शुरुआत अमिताभ बच्चन की दमदार अवाज से होती है। अमिताभ बच्चन की आवाज सुनकर आपको लगान की यादें ताजा हो जाएगी। पेशवा (सुरेश ओबेरॉय) की दत्तक बेटी मणिकर्णिका उर्फ मनु जन्म से ही साहसी और सुंदर हैं। ऐसे में राजगुरु (कुलभूषण खरबंदा) की निगाह उन पर पड़ती है। मनु के साहस और शौर्य से प्रभावित होकर वह झांसी के राजा गंगाधर राव नावलकर (जीशू सेनगुप्ता ) से उसकी शादी करते हैं। ऐसे में मनु झांसी की रानी बनती है।
झांसी की रानी को अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना कभी गवारा नहीं था। वह झांसी को वारिस देने पर खुश है कि अब उसके अधिकार को अंग्रेज बुरी नियत से हड़प नहीं पाएंगे। मगर घर का ही भेदी सदाशिव (मोहम्मद जीशान अयूब) षड्यंत्र रचकर पहले लक्ष्मीबाई की गोद उजाड़ता है और फिर अंग्रेजों के जरिए गद्दी छीन लेता है।
एक्टिंग
सबसे पहले कंगना रनौत की एक्टिंग की बात करें तो उनकी परफॉर्मेंस को देखकर लगता है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का रोल उन्हीं के लिए बना था। शायद इस फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस क्वीन को भुला दे। हालांकि, झलकारी बाई के रोल में अंकिता लोखंडे को ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं दिया गया है। लेकिन,अपनी पहली फिल्म में वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही हैं।
गुलाम गौस खान के रोल में डैनी की परफॉर्मेंस ये साबित करती है कि उनमें पहले जैसी धार अभी भी कायम है। वहीं, गंगाधर राव के रोल में जीशूसेन गुप्ता, पेशवा के रोल में सुरेश ओबरॉय और राजगुरु के रोल में कुलभूषण खरबंदा ने अपना रोल बखूबी निभाया है।