भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज कहा कि भविष्य का मध्यप्रदेश बनाने और जनता की अपेक्षाएं पूरा करना जनप्रतिनिधियों का लक्ष्य होना चाहिये एवं प्रजातंत्र के मंदिर में इसी कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए। कमलनाथ आज मध्यप्रदेश विधानसभा में नव-निर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति, विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविंद सिंह एवं लोकसभा महासचिव स्रेहलता श्रीवास्तव उपस्थित थीं।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि 40 साल पहले जब वे पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे, तब पहली बार संसदीय ज्ञान की पहली सीढ़ी ऐसे ही प्रबोधन कार्यक्रम के जरिए चढ़ी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान ने विधायिका के कर्त्तव्यों और अधिकारों को बेहतर ढंग से परिभाषित किया है। हमें संविधान की आत्मा को आत्मसात कर अपने देश, प्रदेश और क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना है।
कमलनाथ ने कहा कि समय के साथ राजनीति बदली है। पुरानी दुनिया से अलग नई पीढ़ी की दुनिया हमारे सामने हैं। इसके परिवर्तनों को हमें देखना-समझना है। नई पीढ़ी हमारा सम्मान करें। विधायिका और कार्यपालिका के साथ नयी पीढ़ी को कैसे जोड़े और उनकी अपेक्षाओं को कैसे पूरा करें, यह हमारे सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में हो रहे परिवर्तनों के अनुरूप हमें मध्यप्रदेश को बनाना है। एक जिम्मेदार प्रतिनिधि को संसदीय परंपराओं, नियम प्रक्रियाओं का गहन अध्ययन करना चाहिए।
इससे वह विधायी सदनों में जनता और प्रदेश हित में बेहतर भूमिका निभा सकेगा। कब बोलना, कब चुप रहना है, सार्थक रूप से अपनी बात कहना है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधि पांच साल के लिए चुने गए हैं। जब अपना कार्यकाल पूरा कर फिर से जनता के बीच समर्थन मांगने जाएं तो जनता प्रतिनिधि का स्वागत करे, यही उसकी सफलता होगी।
एकजुट कोशिश से ही प्रदेश के विकास का एक नया नक्शा बना पाएंगे। विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने प्रबोधन कार्यक्रम के उद्देश्य और रूपरेखा बताई। कार्यक्रम में विधानसभा की त्रैमासिक पत्रिका 'विधायनी' के नए अंक और विधानसभा से संबंधित नियम-प्रक्रिया की पुस्तक का विमोचन भी हुआ।