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जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के लिये 13 स्थानों पर विशेष व्यवस्था

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 21 2019 4:38PM | Updated Date: Jun 21 2019 4:38PM
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भोपाल। मध्यप्रदेश में जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के लिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 13 स्थानों पर संयुक्त जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इन स्थानों पर चिकित्सीय अपशिष्टों का परिवहन करने वाले 820 वाहनों में जीपीएस उपकरण लगाये गये हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार जीव चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में बांटा गया है। राज्य में इनके उपचार की विभिन्न पद्धतियों जैसे इन्सीरिनेशन, ऑटोक्लेविंग, माइक्रोवेविंग रासायनिक उपचार, कटिंग, ग्रेडिंग तथा भूमि में गहरा गड्डा किया जाकर उपयोग करना प्रमुख है।
 
अधिकांश चिकित्सालय एवं निजी नर्सिंग होम आबादी वाले क्षेत्रों में हैं। इनके कचरे के डिस्पोजल की अलग से व्यवस्था नहीं होने के कारण उपचार की यह व्यवस्था की गई है। प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 11 टन अपशिष्ट का निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है।राज्य के प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता की सतत निगरानी के लिये उज्जैन, पीथमपुर, देवास, मण्डीदीप, सिंगरौली, दमोह, रीवा, इंदौर, सतना, रतलाम और मैहर में ऑनलाइन कन्टीन्यूअस एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम की स्थापना कर वायु गुणवत्ता की मॉनीटरिंग की जा रही है।
 
इसके अलावा 4 प्रमुख शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर एवं जबलपुर में जन-सामान्य को जागरूक करने के मकसद से राज्य की वायु गुणवत्ता दर्शाने वाले 9 बड़े डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं। पर्यावरण विभाग द्वारा प्रदेश की नदियों के 22 प्रदूषित स्थलों के क्लीनिंग प्रोग्राम की योजना अनुमोदित की गई है। इस पर शीघ्र काम शुरू किया जा रहा है। जीवनदायिनी नर्मदा नदी के ओंकारेश्वर तट पर और भोपाल स्थित बड़े तालाब की जलवायु गुणवत्ता मापन के लिये रियल टाइम कन्टीन्यूअस वाटर गुणवत्ता परिणाम डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से जन-साधारण के लिये प्रदर्शित किये जा रहे हैं।
 
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