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देश में 2023 तक यात्री वाहनों की मागं होगी 50 लाख सालाना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 3 2019 3:54PM | Updated Date: Apr 3 2019 3:55PM
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नई दिल्ली। देश में यात्री वाहनों की मांग जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसे देखते हुए वित्त वर्ष 2023 तक इनकी मांग करीब 50 लाख सालाना पर पहुंच जाएगी। उद्योग मंडल एसौचेम ने रोलैंड बर्गर के साथ मिलकर तैयार अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही है। बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में यात्री वाहनों की सालाना औसत वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत है। इस रफ्तार से वित्त वर्ष 2018 के 33 लाख की तुलना में 2023 में यात्री वाहनों की बिक्री 50 लाख सालाना हो जाने की उम्मीद है।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्पोर्ट्स यूटीलिटी वाहनों (एसयूवी) और क्रॉसओवर मॉडलों के भविष्य में भी अपना दबदबा बनाये रखने की उम्मीद है और  2018 से 2023 के दौरान इस वर्ग की औसत वृद्धि दर 12 प्रतिशत बनी रहने की संभावना है। हरित परिवहन की और अग्रसर’’ शीर्षक के इस अध्ययन में कहा गया है कि अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में चौपहिया वाहनों की संख्या कम है और इसे देखते हुये इस वर्ग में माँग बढ़ने की खासी संभावनाएं मौजूद हैं।
 
अध्ययन में कहा गया है कि घरेलू बाजार में वाणिज्यिक वाहनों की मांग 2018 के आठ लाख 32 हजार की तुलना में सालाना औसतन 5.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी से दस लाख प्रतिवर्ष पार करने की उम्मीद है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से विनिर्माण परिचालन मजबूत होगा और वितरण तंत्र में सुधार से भी वाहनों की माँग में बढ़ोतरी की संभावना है। क्षमता से अधिक माल लादने पर प्रतिबंध, 2020 से पुराने वाहनों को हटाने की नीति के अमल में आने और जीएसटी क्रियान्वयन से मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों के वर्ग में माँग बढ़ने के अच्छे संकेत नजर आते हैं।
 
अध्ययन में मशीनीकरण के प्रति बढ़ते रुख से कृषि के साथ-साथ निर्माण क्षेत्र के लिए उपकरणों की माँग बढ़ने की संभावना भी जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर ऑफ-हाईवे मशीनरी बिक्री के 2017 के सालाना 7,49,000 के मुकाबले 2022 में 8,70,000 पर पहुंचने की उम्मीद है। सामान्य मानसून की आस, कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी और उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और कर्नाटक में किसानों की कर्ज माफी से खेती के काम आने वाले ट्रेक्टर के वर्ग में भी 2017-22 के बीच सालाना 2.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान रिपोर्ट में लगाया गया है। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के स्थान पर स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल की तरफ बढ़ते इरादे भी भारत की स्थिति को मजबूत करेंगे। ऑटो उपरकण आपूर्तिकर्ताओं को हरित प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना होगा। इस लक्ष्य के लिए प्रौद्योगिकी अधिग्रहण, सहयोग और क्षमता का इस्तेमाल जरूरी बिंदू होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है मौजूदा कारोबार को कोई जोखिम पहुंचाये बिना भविष्य के अवसरों की तरफ कदम बढ़ाने की जरूरत होगी।
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