हिंदू धर्म में भगवान की आरती में इसलिए कपूर का प्रयोग किए जाने की परंपरा के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि ईश्वर की पूजा करने के बाद जब आरती की जाती है तो उसमें कपूर का प्रयोग अवश्य किया जाता है। धूप, अगरबत्ती के साथ कपूर को भी जलाया जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हिंदू धर्म में देशी घी के दीपक और कपूर से देवी-देवताओं की आरती करने की पूजा पद्धति है। आरती में कपूर का प्रयोग किए जाने की परंपरा के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं, जो इस प्रकार हैं...आरती करते समय कपूर की सुगंध से भगवान बी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और साधक की मनोकामना शीघ्र पूर्ण करते हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार कपूर जलाने से देवदोष एवं पितृदोष का शमन होता है।
कपूर की सुगंध से वातावरण में सतोगुण की वृद्धि होती है और मन सरलता से भक्तिभाव में दृढ़ हो जाता हैआरती करते समय कपूर की सुगंध से भगवान बी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और साधक की मनोकामना शीघ्र पूर्ण करते हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार कपूर जलाने से देवदोष एवं पितृदोष का शमन होता है।
कपूर की सुगंध से वातावरण में सतोगुण की वृद्धि होती है और मन सरलता से भक्तिभाव में दृढ़ हो जाता हैकपूर की जोत, महादेव के क्रोध की ज्वाला की परिचायक भी है, जिसके भीतर संसार की सभी अशुद्धियां और नकारात्मक शक्तियां जलकर भस्म हो जाती हैं। आरती के दौरान हम अपनी आंखें बंद कर आत्म चिंतन का प्रयास करने के साथ-साथ अपनी आत्मा की बात सुनने का भी प्रयत्न करते हैं। ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित होने के पश्चात ही हम गलत और सही में भेद कर सकते हैं।