मासिक धर्म क्यों होता है ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसके पीछे का कारण इंद्र द्वारा दिए गए श्राप को माना जाता है। जी हाँ, अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इंद्र ने स्त्रियों को ये श्राप क्यों दिया। मित्रों स्त्रियों में माहवारी एक ऐसी पीड़ा है जिसके कारण उसे हर महीने कष्ट झेलना पड़ता है। हर स्त्री के मन में कभी न कभी यह विचार अवश्य आता होगा की आखिर उसे ही क्यो यह कष्ट झेलना पड़ता है। आज हम आपको इसी से जुड़ी हुई देवराज इंद्र को कथा बताने जा रहे है जिसके कारण स्त्री को माहवारी की पीड़ा प्रारम्भ हुई।
भगवत पुराण से जुड़ी हुई एक कथा के अनुसार एक समय असुरो ने स्वर्ग पर आक्रमण करके उसपर अपना अधिपत्य जमा लिया था। इनके बाद जब इंद्र ब्रह्मा जी से सहायता मांगने गए तो उन्होंने इंद्र को किसी ब्रह्मज्ञानी से ज्ञान प्राप्त करने को कहा। इसी के चलते इंद्र पृथ्वी में पहुँचे। वहां उन्होंने एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करना शुरू कर दी। किन्तु कुछ समय पश्चात इंद्रदेव को पता चला की ब्रह्मज्ञानी की माता एक असुर है। इसी के चलते इंद्रदेव द्वारा किये गए सभी यज्ञ व्यर्थ ही गए।
इस बात से क्रोधित होकर इंद्र ने ब्रम्हज्ञानी का वध कर दिया। इसके चलते इन्द्र पर ब्रह्महत्या का श्राप लग गया। इस श्राप से मुक्ति के लिए इंद्रदेव ने भगवान विष्णु की तपस्या 2 लाख वर्ष तक की। तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने इन्द्र को इस श्राप से मुक्ति के लिए एक उपाय बताया। इसके बाद इन्द्र ने अपने द्वारा किये गए पाप का एक चौथाई भाग पेड़ो को दे दिया साथ में उन्हें शक्ति दी की वे अपने जैसा पेड़ उत्पन्न कर सकते है। इसके पश्चात उन्होंने एक भाग जल को दे दिया और उसे आशीर्वाद दिया कि वो किसी को भी स्वच्छ कर सकता है।
इसके पश्चात एक भाग पृथ्वी को दे दिया साथ में पृथ्वी को वरदान दिया की गहरी से गहरी चोट पृथ्वी स्वयं ही भर जायेगीं इसके पश्चात अंतिम भाग को स्त्रियों को दे दिया इसी के चलते स्त्रियों को मासिक पीड़ा सहनी पड़ती है। इन्द्र ने स्त्रियों को आशीर्वाद दिया कि रतिप्रेम में उसे पुरुष से अधिक आनंद प्राप्त होगा।