14 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में अवश्य अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा के साथ दान भी करना चाहिए। कहते हैं कि अपने पितरों की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए श्राद्ध किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग श्राद्ध नहीं कर पाते उनके घर में दरिद्रता आती है और इसके साथ ही कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है और पितर दोष कहा जाता है, इसीलिए हर किसी को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
वैदिक ग्रंथो के अनुसार पूर्वजों द्वारा किए गए कर्मों का फल आने वाली पीढ़ियों को भी मिलता है। उदाहरण के लिए जिस प्रकार पिता का लिया हुआ कर्ज़ संतान को भरना पड़ता है उसी प्रकार यदि पूर्वज अपने जीवन में बुरे कर्मों को कर के चले जाते है तो उसका फल आने वाली पीड़ियों को भोगना पड़ता है। यह तब तक झेलना पड़ता है जब तक की आनी वाली पीढ़ियां पूर्वजो द्वारा किए गए बुरे कर्मों का निवारण न करवाएं। उनकी मुक्ति के लिए श्राद्ध कर्म करने का विधान है। अगर विधि-पूर्वक उनका श्राद्ध कर्म न किया जाए तो जातक पितृ दोष से ग्रस्त हो सकता है। आज हम आपको पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से अवगत कराएंगे।
पितर दोष से बचने के उपाय
पितृ पक्ष में किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण जरूर करना चाहिए। इससे भी पितृ दोषों में कमी आती है।
पितृ पक्ष में चीटीं, गाय, कौए और गाय को भोजन कराकर पितरो को खुश किया जा सकता है। इससे पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
श्राद्ध पक्ष में पीपल के पेड़ में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढाएं। इससे भी पितृ दोष से बचा जा सकता है।
पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए हर दिन अपने ईष्ट देव की आराधना करें। उनसे प्रार्थना करें कि इस दोष से मुक्ति दिलाए।