सनातन हिन्दू धर्म में ज्योतिष को वेदों का छठा अंग माना गया है । हममे से कई लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है यानी वो पितृ दोष से पीडित होते हैं। इस साल पितृ पक्ष 14 सितंबर की सुबह आठ बजकर 42 मिनट से अश्विन प्रतिपदा की शुरूवात होगी जिसमें प्रतिपदा का श्राद्ध व तर्पण शुरू होगा। पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज जब सूर्य कन्या राशि में जाते हैं तब पितृ परलोक से धरती पर कुछ दिनों के लिए अपने परिजनों के पास आते हैं। बहुत लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है और इस दोष से छुटकारा पाने के लिए हर साल पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद किए जाते हैं। कुछ लोगों को इस बात का पता होता है लेकिन कुछ लोगों को इस बात का पता नहीं होता है। आज हम आपको ऐसे संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकार आपको इस बात का अंदाजा लगेगा कि आपकी कुंडली में पितृ दोष है।
संतान से जुड़ी समस्या: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है तो वे संतान से जुड़ी समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे लोगों की या तो संतान पैदा ही नहीं होती या फिर ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहती।
बनी रहती है धन की कमी: जो लोग अक्सर आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं या उनके पास कई धन नहीं टिकता है और बार बार धन की हानि होती रहती है तो ऐसे लोग पितृ दोष से पीड़ित हो सकते हैं।
शादी में आती है परेशानियां: जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनकी शादी में बड़ी समस्याएं आती है। या फिर उनकी कन्या की शादी देर से होती है या फिर उसे मनचाहा वर नहीं मिल पाता है।
घर में अक्सर होते हैं झगड़े: पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति के घर में अक्सर किसी ना किसी वजह से लड़ाई-झगड़े होते ही रहते हैं। परिवार के सदस्यों में हमेशा मनमुटाव रहता है और परिवार में कभी सुख शांति का माहौल नहीं रहता है।
बनते हुए कार्यों का अचानक बिगड़ जाना और आय से ज्यादा खर्च होना भी पितृदोष का संकेत है।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के आसान उपाय
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष के दौरान अपने घर में गीता का पाठ कराएं।
हर अमावस्या के दिन अपने पितरों को याद करके उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
पानी में पितृ का वास माना जाता है इसलिए पीने के पानी के पास उनके नाम का दीपक जलाएं।
श्राद्धपक्ष में पीपल के वृक्ष पर दूध, गंगाजल, काला तिल मिलाकर जल चढ़ाएं और पितरों को नमन करें।
श्राद्धपक्ष में अपने पितरों की मृत्यु तिथि या फिर सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण करें। इस दिन अपने पूर्वजों की पसंद की सारी चीजें बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर पूर्वजों की तस्वीर लगाएं और नित्य उनका नमन करें।
अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीबों को कपड़े और अन्न दान करें। इससे भी पितृदोष दूर होता है और तरक्की के रास्ते खुलने लगते हैं।
नाग स्तोत्रं, महामृत्युंजय मंत्र, रूद्र सुक्त, पितृ स्तोत्र और नवग्रह स्तोत्र का पाठ कराने से भी पितृदोष शांत होता हैकरें ये उपाय
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष के दौरान अपने घर में गीता का पाठ कराएं।
हर अमावस्या के दिन अपने पितरों को याद करके उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
पानी में पितृ का वास माना जाता है इसलिए पीने के पानी के पास उनके नाम का दीपक जलाएं।
श्राद्धपक्ष में पीपल के वृक्ष पर दूध, गंगाजल, काला तिल मिलाकर जल चढ़ाएं और पितरों को नमन करें।
श्राद्धपक्ष में अपने पितरों की मृत्यु तिथि या फिर सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण करें। इस दिन अपने पूर्वजों की पसंद की सारी चीजें बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
अपने घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर पूर्वजों की तस्वीर लगाएं और नित्य उनका नमन करें।
अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीबों को कपड़े और अन्न दान करें। इससे भी पितृदोष दूर होता है और तरक्की के रास्ते खुलने लगते हैं।
नाग स्तोत्रं, महामृत्युंजय मंत्र, रूद्र सुक्त, पितृ स्तोत्र और नवग्रह स्तोत्र का पाठ कराने से भी पितृदोष शांत होता है।
इन मंत्रों का जप करके इस दोष को शांत कर सकते हैं।
ओम् सर्व पितृ देवताभ्यो नम:
ओम् प्रथम पितृ नारायणाय नम: