इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरु हो रहे हैं... हिंदू धर्म में परिवार के सदस्यों की मृत्यु के पश्चात् उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं। पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक 15 दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। श्राद्ध को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज जिनका देहान्त हो चुका है वे सभी पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और पृथ्वी लोक पर जीवित रहने वाले अपने परिजनों के तर्पण को स्वीकार करते हैं।
पितृ पक्ष का महत्व
हमारे ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान की पूजा से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिये। यदि पितर प्रसन्न हो गए तो समझिये देवता भी प्रसन्न हो गए। यही कारण है कि भारत के हर घर में बड़े बुजुर्गों का सम्मान किया जाता है और उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। इसके पिछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है।
वर्ष 2019 की श्राद्ध की तिथियां
13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर- प्रतिपदा
15 सितंबर- द्वितीया
16 सितंबर– तृतीया
17 सितंबर- चतुर्थी
18 सितंबर- पंचमी, महा भरणी
19 सितंबर- षष्ठी
20 अक्टूबर- सप्तमी
21 अक्टूबर- अष्टमी
22 अक्टूबर- नवमी
23 अक्टूबर- दशमी
24 अक्टूबर- एकादशी
25 अक्टूबर- द्वादशी
26 अक्टूबर- त्रयोदशी
27 चतुर्दशी- मघा श्राद्ध
28 अक्टूबर- सर्वपित्र अमावस्या