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Astrology

पूजा में कर लिया इन चीज़ों का इस्तेमाल, तो होना पड़ सकता है शिव के गुस्से का शिकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 24 2019 1:59AM | Updated Date: Jun 24 2019 1:59AM
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कहा जाता तमाम देवी-देवताओं में से भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देव हैं जिन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है वो इसलिए क्योंकि शास्त्रों में इनका स्वभाव बहुत ही भोला दर्शाया गया है। इसका प्रमाण धार्मिक ग्रंथ में वर्णित कई पौराणिक कथाएं आदि हैं। मगर आपको बता दें कि जितनी जल्दी भोलेनाथ खुश होते हैं उतनी ही जल्दी ये नाराज़ भो हो जाते हैं। जी हां, ज्योतिशास्त्र में कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में वर्णन किया गया है जिन्हें अगर गलती से भी शिव जी पर चढ़ाया जाए तो शिव जी के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं कि किसी को भी भूलकर भी भगवान शिव पर कौन सी चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए।

नारियल- कहा जाता है भगवान की शिव की पूजा में नारियल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही शिवलिंग का नारियल के पानी से अभिषेक करना चाहिए। क्योंकि नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, यही कारण है इसे कभी शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता।

सिंदूर- ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि कभी भूलवश भी शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। दरअसल, कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है। और भगवान शिव ठहरे वैरागी, इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए।

हल्दी- कुमकुम भी हल्दी का संबंध भी सौभाग्य से होता है, इसलिए शिवलिंग पर हल्दी को न चढ़ाएं।

शंख- अक्सर आप ने देखा होगा कि तमाम तरह की पूजा में शंख का प्रयोग किया जाता है लेकिन बता दें शिव पूजन में इसका प्रयोग नहीं किया जाता। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था, जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भगवान की पूजा में शंख का प्रयोग करना वर्जित है।

तुलसी- तुलसी के पौधे और उसकी पत्तियों की पूजा का सनातन धर्म में कितना महत्व हैं इससे कोई अंजान नही होगा। बल्क पूजा के अलावा भी इसे काफ़ी गुणकारी माना जाता है। मगर मान्यताओं के अनुसार इसका शिव पूजन में प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव ने तुलसी के असुर पति जालंधर का वध किया था।

अक्षत- त्रिपुरारी को अक्षत यानि चावल कभी न चढ़ाना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है। इसी वजह के चलते इसका शिव पूजन में उपयोग नहीं किया जाता है।

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