इस दिन ब्रह्म मुहूर्त मैं उठकर स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत होकर अक्षय तृतीया व्रत एवं दान का संकल्प लेना चाहिए। उपवास रखें और घर में ही किसी पवित्र स्थान पर विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित कर पूजन का संकल्प करें। संकल्प के बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं, तत्पश्चात उन्हें सुगंधित चंदन, पुष्पमाला अर्पण करें। नैवेद्य में जौ या जौ का सत्तू, ककडी और चना की दाल अर्पण करें। भगवान विष्णु को तुलसी अधिक प्रिय है, अतः नैवेद्य के साथ तुलसी अवश्य अर्पित करें। ‘विष्णु सस्त्रनाम’ का पाठ एवं विष्णु द्वादशाक्षर मंत्रों का जाप करें। अंत में श्रद्धा पूर्वक आरती करें। भविष्य पुराण की मान्यताओं के अनुसार इस पुनीत तिथि में किए गए कर्मों का कभी क्षय नहीं होता, अतः मनोयोगपूर्वक किए गए शुभ कार्य, दान ,जप ,तप एवं स्थाई महत्व के मंगल कार्य भी अक्षय हो जाते हैं।इस दिन बरतन, पात्र, मिष्ठान, तरबूज़ा, ख़रबूज़ा, दूध, दही, चावल का योग्य ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन पानी से भरे मटके ,गेहूं ,सत्तू एवं जौ के दान का विशेष महत्त्व शास्त्रों में कहा गया है। इस दिन से सार्वजनिक स्थलों पर पानी की प्याऊ लगवाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति मानी गई है।
खरीददारी का महा मुहूर्त
अक्षय तृतीया की खरीदारी के लिए 7 मई को सूर्योदय से सम्पूर्ण दिन तक तमाम उत्तम मुहूर्त हैं। इस वर्ष अक्षय तृतीया क समस्त प्रकार के मंगल मुहूर्त के योग बनते हैं । इस बार अक्षय तृतीया शुभ योगों में होने के चलते आभूषण, सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात, जमीन, खेत, प्रॉपर्टी, मकान, कार, बाइक, इलेक्ट्रॉनिक आइटम खरीदने के शुभ मुहूर्त हैं,। 'अक्षय तृतीया' के दिन ख़रीदे जाने वाले वेशक़ीमती आभूषण एवं सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन ख़रीदा व धारण किया गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।