हर व्यक्ति अपने पिछले जन्म के बारे में बहुत कुछ जानना चाहता हैं कि वो पिछले जन्म में क्या था। और क्या वाकई में पिछला या पुनर्जनम होता हैं या फिर नहीं। ये सारे सवाल हर इंसान के मन में होते हैं। वही ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक इन बातों का जवाब आपकी जन्मकुंडली में ही लिखा होता हैं। वही केवल उसे पहचानकर पढ़ने की अवश्यकता हैं। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक अगर आपकी कुंडली में गुरु लग्न यानी की पहले घर में बैठा हैं तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजनम में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे।
वही ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक जन्मपत्री में गुरु पांचवे, सातवें या नवम घर में बैठा हो तो यह संकेत होता हैं कि आप पूर्व जन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी और विवेकशील रहे होगे। वही इसके प्रभाव से इस जन्म में आप पढ़ने लिखने में होशियार होंगे और समय समय पर आपको भाग्य का भी पूरा सहयोग प्राप्त होगा। वही धर्म में आपकी रुचि बनी रहेगी। मगर जिनकी जन्म कुंडली में राहु पहले या फिर सातवें घर में बैठा होता हैं उनके विषय में ज्योतिषशास्त्र का मानना यह हैं। कि इनकी अस्वभावितक मृत्यु हुई होगी। ऐसा मनुष्य वर्तमान जीवन में चालाक माना जाता हैं। वही इनका मन कई बार उलझनों से भी घिरा रहता हैं।
वही वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी रहती हैं जिन व्यक्तियों का जन्म कर्क लग्न में हुआ होता हैं। यानी की कुंडली में पहले घर में कर्क राशि होती हैं और चन्द्रमा इस राशि में बैठा रहता हैं तो यह समझना चाहिए कि मनुष्य पूर्वजन्म में व्यापारी रहा होगा। वर्तमान जन्म में ऐसा व्यक्ति चंचल स्वभाव का माना जाता हैं।