भगवान शिव का रूप निराला है उनके एक हाथ में डमरू और दूसरे हाथ में त्रिशूल रहता है वहीं वे हमेशा अपने गले में नाग को रखते हैं। सभी की ये जानने की इच्छा होती है कि आखिर शिवजी के पास नाग, त्रिशूल और डमरू कहां से आया। आइए जानते है इस रोचक कथा के बारे में
पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि की रचना हुई तब ब्रह्मनाद से शिव की उत्पत्ति हुई और उनके साथ रज, तम, सत भी प्रकट हुए।
शिव ने इन तीनों गुणों को अपने त्रिशूल में धारण कर लिया। माना जाता है कि इन तीनों के सामंजस्य के बिना सृष्टि का चलना असंभव है और सृष्टि का संचालन ठीक से होता रहे इसी के लिए इस त्रिशूल को शिव अपने हाथ में रखते हैं और उनका इन तीनों गुणों पर नियंत्रण रहता है।
भगवान शिव संहारकर्ता हैं और जब वे नृत्य करते हैं तो उनके हाथ में एक वाद्ययंत्र होता है जिसे डमरू कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार शिव के हाथ का डमरू दिन-रात और समय के संतुलन का प्रतीक है और सृष्टि के संतुलन के लिए इसे भी भगवान शिव ने अपने हाथ में रखा हुआ है।
भगवान शिव के गले में हमेशा वासुकी नाग रहता है और यह नागों का राजा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय इसी ने रस्सी का काम किया था और यह विषधर को बहुत प्रिय है इसी वजह से शिव ने इसे अपने गले में धारण कर रखा है।