इस बार 24 मई, गुरुवार को गंगा दशहरा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन देवनदी गंगा धरती पर आई थी। इन दिनों अधिक मास चल रहा है, जिसकी वजह से गंगा दशहरा का महत्व और भी बढ़ गया है। इसके पहले ज्येष्ठ का अधिक मास 19 साल पहले सन 1999 में आया था। 2018 के बाद 2037 में फिर से ज्येष्ठ अधिक मास आएगा। गंगा दशहरा पर इस विधि से पूजा करें...
पूजा विधि
संकल्प पूर्वक गंगा में या अन्य किसी पवित्र नदी में दस डुबकी लगाएं व साफ कपड़े पहनकर पितरों का तर्पण करें। फिर उस तीर्थ की पूजा करके घी से चुपड़े हुए दस मुट्ठी काले तिल जल में डाल दें। इसी तरह गुड़ से बने दस सत्तू के लड्डू भी जल में डाल दें। इसके बाद तांबे या मिट्टी के घड़े पर रखी सोने, चांदी अथवा मिट्टी से बनी गंगाजी की प्रतिमा की पूजा नीचे लिखे मंत्र के साथ करें-
नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नारायण्यै रेवत्यै।
शिवायै अमृतायै विश्वरूपिण्यै नन्दिन्यै ते नमो नम:।।
इसके बाद भगवान नारायण, शिव, ब्रह्मा, सूर्य, राजा भगीरथ व हिमालय को वहां उपस्थित जानकर उनकी भी पूजा करें। पूजा में जो सामग्री उपयोग में लें उनकी संख्या दस होनी चाहिए जैसे- दस तरह के फूल, दशांग धूप, दस दीपक, दस प्रकार के नैवेद्य, दस पान व दस फल होने चाहिए। दक्षिणा भी दस ब्राह्मणों को दें। किंतु उन्हें दान में दिए जाने वाले जौ व तिल सोलह-सोलह मुट्ठी होना चाहिए।
गंगा दशहरा पर ये उपाय करें
इस दिन शिवलिंग का अभिषेक गंगा जल से करें तो महादेव सहित सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।