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Astrology

मक्‍का मदीना में गुरू नानक देव जी ने किया था चमत्‍कार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 3 2017 6:37PM | Updated Date: Nov 3 2017 6:37PM
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जब मक्‍का पहुंचे नानक साहब
 
कहते हैं कि एक बार सिक्‍खों के प्रथम गुरू श्री नानक देव जी यात्रा करते हुए मक्‍का मदीना पहुंच गए। जब वह मक्का पहुंचे तो शाम हो चुकी थी और उनके सभी सहयात्री काफी थकान का अनुभव कर रहे थे। मक्का में मुस्लिम समुदाय का प्रसिद्ध पवित्र स्थान काबा है। थकान के कारण गुरू नानक समेत सभी यात्री सोने के लिए लेट गए और उन्‍हें ये ध्‍यान नहीं रहा कि उनके पैर किस दिशा है। मुसलिम मान्‍यता में काबा की ओर पैर करके सोना मना है। उन्‍हें काबा की तरफ पैर किए देख कर एक मुस्‍लिम शख्‍स जिओन नाराज हो गया और क्रोध से बोला कि काफिर तू कौन है जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोया हुआ है।

जब काबा ने भी बदली दिशा
 
इस पर नानक देव जी ने विनम्रता के साथ कहा कि वे पूरे दिन के सफर के बाद थककर लेटे हैं और उन्‍हें नहीं मालूम की खुदा का घर किधर है। उन्‍होंने जिओन से कहा कि आप हमारे पैर पकड़कर उधर कर दे जिस तरफ खुदा का घर नहीं है। क्रोध में उसने उनके पैरों को घसीटकर काबा से विपरीत दिशा में कर दिया। इसके बाद जब उसने सर उठा कर देखा तो उसे काबा फिर नानक देव के पैरों की दिशा में ही दिखाई दिया। जब भी वो पैरों को दूसरी तरफ घुमाता और काबा भी घूम कर उसी दिशा में आ जाता। ये देख कर जिओन घबरा गया और भाग यह बात हाजी और दूसरे मुसलमानों को बताने पहुंचा।
 
मुस्‍लिम भी हुए मुरीद
 
इस बारे में जान कर काबा के मुख्य मौलवी इमाम रुकनदीन नानक देव जी से मिलने आये और कहा कि आप मुस्‍लिम नहीं है फिर भी यहां क्‍यों आये हैं। गुरू नानक ने कहा कि वे सभी शुद्ध आचरण वालों का सम्‍मान करते हैं और उनसे मिलने आये हैं। नानक जी के चमत्‍कार और व्‍यवहार को देख कर सभी बेहद प्रभावित हुए और उनके प्रशंसक बन गए।
 
जब मौलवी ने उनसे पूछा कि हिंदू मुसलमान में कौन बेहतर है तो नानक देव जी ने कहा मानव मात्र से प्‍यार करने वाला सदाचारी ही श्रेष्‍ठ है चाहे वो किसी जाति का हो। उनकी सच्‍चाई और सादगी से प्रभावित हो कर काबा में भी लोग उनके मुरीद हो गए और कहते हैं इस चमत्‍कार के प्रमाण के रूप में आज भी उनकी खड़ाउ काबा में रखी है।   
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