होलिका दहन में मुहूर्त का चयन किसी भी त्योहार की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। अन्य पर्वों में गलत मुहूर्त के चयन से केवल पूजा के लाभ से वंचित होना पड़ता है, परंतु गलत मुहूर्त में किया गया होलिका दहन नगर, राष्ट्र एवं परिवार के लिए हानिकारक होता है। सामान्यतः फाल्गुन पूर्णिमा एवं श्रावण पूर्णिमा अर्थात होली एवं रक्षाबंधन के पर्व भद्रा युक्त होते हैं ,अतः भद्रा का त्याग करते हुए ही इन पर्वों का निष्पादन करना चाहिए।
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को भद्रा रहित प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाना चाहिए।
★ धर्मसिंधु की मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाना चाहिए।
★ यदि दूसरे दिन पूर्णिमा प्रदोष काल को स्पर्श ना करें और पहले दिन ही प्रदोष व्यापनी" हो तथा पहले दिन भद्रा अर्धरात्रि से पूर्व समाप्त हो जाए तो होलीका दहन पहले दिन ही भद्रा की समाप्ति पर करना चाहिए।
★ इस वर्ष भी यही स्थिति निर्मित हो रही है तथा धर्मसिंधु के इस सूत्र को इस वर्ष के होलिका दहन में व्यवहार में लाना चाहिए। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 20 मार्च 2019 को प्रदोष व्यापिनी है। इसी दिन प्रदोष काल सायंकाल 6:34 से प्रारंभ होकर रात्रि 8:58 बजे तक रहेगा। परंतु भद्रा निशीथ काल के पूर्व ही समाप्त हो जाएगी अतः होलिका दहन 20 मार्च को भद्रा के पश्चात करना शास्त्र सम्मत होगा।
होलिका दहन के अवसर पर भद्रा के संबंध में मान्यताएं हैं कि यदि समय अभाव के कारण भद्रा काल में ही होलिका दहन करना पड़े तो भद्रा मुख को छोड़ कर भद्रा पूछ की अवधि में होलिका दहन किया जा सकता है। लेकिन ऐसा होलिका दहन अति आवश्यकता में करना चाहिए हो सके तो संपूर्ण भद्रा को छोड़ देना चाहिए। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार भद्रा मुख में होलिका दहन अनिष्ट का स्वागत करने जैसा है जिसका परिणाम ना केवल होलिका दहन करने वालों को अपितु नगर एवं राष्ट्र को भी भुगतना पड़ता है।
होलिका दहन मुहूर्त
★ इस वर्ष 20 मार्च को प्रातः काल 10:45 पर भद्रा का प्रवेश हो जाएगा जो कि इसी दिन की रात्रि 8:59 तक व्याप्त रहेगी।
★ इस वर्ष भद्रा पूछ की अवधि प्रदोष काल में 5:24 से लेकर 6:25 तक रहेगी।
★ भद्रा मुख की अवधि 6:25 से लेकर 8:07 तक रहेगी। पूर्णिमा तिथि 20 मार्च को प्रातः काल भद्रा के साथ ही प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन प्रातः काल 7:12 तक रहेगी।
★ इसलिए इस वर्ष होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त भद्रा के पश्चात अर्थात 8:59 के पश्चात रात्रि में प्राप्त होगा। जोकि रात्रि 12:12 तक व्याप्त रहेगा।
रंग वाली होली होलिका दहन के पश्चात अथवा अगले दिन यानी 21 मार्च को उल्लास पूर्वक मनाई जा सकेगी। जो लोग पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उनके लिए व्रत की पूर्णिमा 20 मार्च को तथा स्नान एवं दान की पूर्णिमा 21 मार्च को संपूर्ण दिन रहेगी। क्योंकि 21 मार्च को सूर्योदय के पश्चात समाप्त होने वाली पूर्णिमा उदय कालीन होगी।
*ज्योतिर्विद राजेश साहनी रीवा*
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