त्वचा, शरीर का रक्षा कवचजान बचाएगी टर्की की चमड़ीगोरा होना ही खूबसूरती नहींगोरी त्वचा का जिम्मेदार एक जीनअंतरिक्ष में जल्दी पड़ती हैं झुर्रियांपसीना यानी शरीर का एसीस्किन कैंसर के लिए क्रीम का सपनाठंड में कंपकंपी क्यों लगती हैअब आसान जले का इलाजकारखाने में बनती त्वचाटैनिंग सैलून से त्वचा कैंसर का खतरास्किन फैक्टरी में बनेगी नकली त्वचा ठंड के असर से कभी रोएं खड़े हो जाते हैं, कभी उंगलियां सुन्न हो जाती हैं तो कभी कान ठंडे हो जाते हैं. लेकिन हमारा शरीर ऐसी प्रतिक्रिया क्यों देता है, कभी सोचा है?
हर इंसान में यह प्रतिक्रिया अलग अलग होती है। हर इंसान की त्वचा में तापमान के सेंसर होते हैं। कुछ लोगों में ये सेंसर कान में ज्यादा होते हैं तो कुछ में शरीर के किसी और हिस्से में ये सेंसर अधिक मात्रा में हो सकते हैं। इसके अलावा शरीर में तापमान के सेंसरों की संख्या हर इंसान में अलग हो सकती है।
शरीर देता है चेतावनी
शरीर में मौजूद सेंसर एक समय में एक ही तरह के तापमान को समझते हैं। ठंडे तापमान को भांपने वाले सेंसर गर्म तापमान को नहीं आंक पाते हैं। लेकिन दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे लोगों का आंतरिक तापमान लगभग समान ही होता है, फिर चाहे वे सहारा के मरुस्थल में रह रहे हों या ग्रीनलैंड की ठंडी बर्फीली हवाओं के बीच।
बाल करते हैं रक्षा
लाच के अनुसार प्राचीन समय में इंसान के शरीर पर बहुत बाल हुआ करते थे जो उसे ठंड से बचने में मदद भी करते थे। उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "हमारे शरीर पर बाल त्वचा के जिस हिस्से से जुड़े होते हैं वहां ठंड होने पर मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं और बाल खड़े हो जाते हैं।" उन जीवों में जिनके शरीर पर बहुत बाल होते हैं, बालों की परत ऊष्मारोधी या अवरोधी परत की तरह काम करती है।