20 Apr 2024, 19:44:52 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

पितृपक्ष आरंभ है। 15 दिनों तक चलनेवाले पित्तृपक्ष में पितरों का श्राद्ध एवं तर्पण होगा। सनातन, हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा निवेदन के लिए पितृपक्ष पखवाड़े का विशेष महात्मय है। वैदिक महामंत्रों के बीच तालाब और नदियों में अपने तर्पण देने के बाद पितरों से आशीर्वाद लेने, ब्राह्मणों के अलावा गाय एवं कौआ को भोजन देने का विशेष महात्मय पितृपक्ष में है।
 
पितरों को प्राप्त होता है काक बलि
धर्म शास्त्र श्राद्ध परिजात में वर्णन है कि पितृपक्ष में गौ ग्रास के साथ काक बलि प्रदान करने की मान्यता है। इसके बिना तर्पण अधूरा है। मृत्यु लोक के प्राणी द्वारा काक बलि के तौर पर कौओं को दिया गया भोजन पितरों को प्राप्त होता है।
 
मान्यता है कि पृथ्वी पर जब तक यमराज रहेंगे तब तक कौआ का विनाश नहीं हो सकता है। अगर किसी वजह से कौओं का सर्वनाश हो जाता है काक बलि की जगह गौ ग्रास देकर पितरों की प्रसन्नता की जा सकती है। गौ माता को धर्म का प्रतीक माना जाता है। धर्म प्रतीक के दिव्य होने पर पितरों की प्रसन्नता के लिए सार्थक माना जाता है।
यमस्वरूप है कौ
कौआ यमस्वरूप है। वह यमराज का पुत्र एवं शनिदेव का वाहक है। उसके आदेश से देह त्यागने के बाद लोग स्वर्ग और नरक में जाते हैं। बाल्मिकी रामायण के काम भुसुंडी में यह वर्णन मिलता है। उल्लेख है कि कौआ एक ब्राह्मण है। वह गुरु के अपमान के कारण श्रापित हो गया था। तब मुनि के शाप से वह चांडांल पक्षी कौआ हो गया। इसके बावजूद वह भगवान श्रीराम का स्मरण करता रहा।
 
श्रीरामचरित मानस में इस प्रसंग का उल्लेख है। यमराज से काक भुसुंडी को दूर प्रस्थान दिव्य टैलीपैथी का गुण हासिल है। वह किसी भी शुभ-अशुभ की पूर्व सूचना सबसे पहले दे देता है। मान्यता है कि किसी अतिथि के आगमन के पूर्व सूचना सबसे पहले कौओं के शब्दवाण से मिलती है। श्राद्ध पारिजात में वर्णन है कि यमराज अपने पुत्र कौओं के द्वारा मृत्युलोक के शुभ एवं अशुभ संदेश को प्राप्त करते हैं।
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